सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ जो यह पाठ https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
Shiv Chaisa Secrets
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